
Ranchi: झारखंड में पहली जून से नया टैरिफ लागू हो गया है. उसके बाद 12 जून से नया बिजली बिल भी मिलना शुरू हो गया है. इसी के साथ कई बिजली उपभोक्ताेओं की परेशानी भी शुरू हो गई है. नया बिजली बिल मिलने के बाद उपभोक्ताि गड़बड़ी को लेकर परेशान हैं. कई उपभोक्तागओं के बिल में मीटर रीडिंग सही नहीं है, तो कई उपभोक्ताशओं को महीनों से बिजली बिल ही नहीं मिला है.
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केस वन : रातू रोड के मंगलम अपार्टमेंट में रहने वाले एक बिजली उपभोक्ताा को पूरे 10 महीने बाद बिल मिला है. इस बात से लोग हैरान हैं कि मीटर की रीडिंग जीरो से की गई है. बिल में आखिरी मीटर रीडिंग और आखिरी बिल भुगतान का कहीं जिक्र है. इसलिए बिल अमाउंट भी कई गुणा ज्यारदा है.
केस 2 : हरमू के रहने वाले आरके सिंह को हर महीने की 12 तारीख तक बिजली बिल मिल जाता है. लेकिन इस बार अभी तक उन्हें बिजली बिल नहीं मिल पाया है. इसको लेकर वह इस बात से चिंतित हैं कि कहीं देर होने से ओवर मीटर रीडिंग होगी और बिल भी ज्यांदा चार्ज किया जायेगा. ऐसे में टैरिफ ग्रेडिंग के अनुसार बिजली बिल बढ़ती है, तो किसकी जिम्मेजदारी किसकी होगी.
केस 3 : बूटी के ग्रीन पार्क कॉलोनी प्रवीण कुमार को पिछले पांच महीने से बिजली बिल नहीं मिला है. उनका कहना है कि एक साथ बिजली बिल आता है, तो उसे जमा करने में बहुत मुश्किल होगी.
सुविधायें और बिजली की गुणवत्ताह बढ़ाने का दावा करने के साथ जेबीवीएनएल ने टैरिफ तो बढ़ा दिया. लेकिन इसके पहले चरण में ही बिजली उपभोक्तास परेशान हैं, क्योंमकि कंपनी ने बिजली बिल वसूलने के लिए तैयारी पूरी नहीं की है.
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नया टैरिफ आने से सॉफ्टवेयर में बदलाव हुआ है
बिजली बिल का काम देखने वाले रांची के एक सुपरवाईजर ने बताया कि नया टैरिफ आने से सॉफ्टवेयर में बदलाव हुआ है. इसलिए कंपनी के द्वारा बिजली बिल की मशीन को अपग्रेड किया गया है और बिजली बिल से जुड़े कर्मचारियों को 12 जून को नया मशीन दिया गया है. इसलिए उपभोक्तारओं को विलंब से बिल मिल रहा है.
झारखंड सरकार रिसोर्स गैप के तहत पहली बार बिजली उपभोक्तादओं को सीधे सब्सिडी देना शुरू किया गया है. इसमें सभी तरह का उपाय झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड को करना है. लेकिन नई टैरिफ और सब्सिडी के लिए जेबीवीएनएल की तैयारी पूरी नहीं थी. जिसकी वजह से उपभोक्ता ओं को समय से बिजली बिल नहीं मिल पा रहा है, और जो मिल रहा है उसमें भी गड़बडियों की भरमार है और उसे सुधारने के लिए लोग बिजली दफ्तरों के चक्कउर काटना पड़ रहा है.
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