नई दिल्ली : राज्यसभा में धर्मांतरण के मुद्दे पर कार्यवाही सोमवार को कई बार बाधित हुई और अंतत: इसे दिनभर के लिए स्थगित कर दिया गया। विपक्षी पार्टियों ने धर्मांतरण का विरोध करते हुए प्रधानमंत्री से मांग की कि वह यह सुनिश्चित करें कि सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने वाली ऐसी घटना दोबारा न हो।
हालांकि, सरकार ने कहा कि अगर विपक्ष जबरन धर्म परिवर्तन या जबरन धर्म परिवर्तन पर प्रतिबंध लगाना चाहती है, तो सरकार इस पर चर्चा के लिए तैयार है। हालांकि, विपक्ष ने प्रधानमंत्री की भागीदारी के बिना चर्चा पर सहमति नहीं जताई।
केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा, “विपक्ष फैसला कर सकता है। इस तरह की घटना को रोके जाने पर कोई मतभेद नहीं है। क्या विपक्ष धर्मातरण और जबरन धर्मातरण पर प्रतिबंध चाहता है?”
सदन की कार्यवाही शुरू होते ही आनंद शर्मा ने यह मुद्दा उठाया और विपक्षियों ने धर्मातरण पर विरोध शुरू कर दिया।
शर्मा ने कहा, “हमने प्रश्नकाल स्थगित करने के लिए नोटिस दिया है। देश में गंभीर हालात पैदा हो गए हैं। खुद को सामाजिक संगठन कहने वाले एक संगठन ने घर वापसी का विवादित कार्यक्रम शुरू किया है।”
इसके बाद उपसभापति पी.जे.कुरियन ने कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
कार्यवाही शुरू होते ही कांग्रेस की तरफ से दिए गए प्रश्नकाल स्थगन नोटिस के पक्ष में पूरा विपक्ष एकजुट हो गया।
हालांकि, सभापति एम.हामिद अंसारी ने स्थगन प्रस्ताव को नहीं स्वीकारा। हंगामा जारी रहने पर उन्होंने कार्यवाही पहले 10 मिनट फिर अपराह्न दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
भोजनावकाश के बाद भी हंगामा जारी रहा और विपक्षी सदस्यों ने कहा कि वे चाहते हैं कि प्रधानमंत्री खुद ऐसी घटनाओं के समाप्त होने का आश्वासन दें।
इधर, सरकार की तरफ से सदन में जेटली, संसदीय कार्य मंत्री एम.वेंकैया नायडू और गृह मंत्री राजनाथ सिह मौजूद थे और उन्होंने तत्काल चर्चा कराजाने की पेशकश की।
हालांकि, विपक्षी पार्टियां प्रधानमंत्री को बुलाने पर अड़ी रहीं।
शर्मा ने कहा, “ये घटनाएं संविधान का उल्लंघन हैं, और सत्तारूढ़ पार्टी से जुड़े लोग यह कर रहे हैं।”
जेटली ने विपक्ष के बयान को खारिज करते हुए कहा कि वे चर्चा नहीं, बल्कि सदन को बाधित करना चाहते हैं।
उन्होंने कहा, “यह स्पष्ट है कि वे चर्चा नहीं चाहते, बल्कि कार्यवाही में बाधा चाहते हैं।”
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि चर्चा काफी नहीं है।
उन्होंने कहा, “हम बातचीत की दुकान नहीं हैं। चर्चा कार्रवाई के बाद होनी चाहिए।”
कुरियन ने कहा कि यह सरकार पर है कि चर्चा में जवाब कौन देगा, और यह भी पूछा कि क्या सदस्य गृह मंत्री की क्षमता पर सवाल उठा रहे हैं।
कांग्रेस और सपा सदस्य सभापति की आसंदी के नजदीक पहुंच कर नारेबाजी करने लगे। अन्य विपक्षी पार्टियां भी नारेबाजी करती दिखीं।
जारी हंगामे के बीच सदन की कार्यवाही आधे घंटे और फिर दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई।
इस मुद्दे पर मंगलवार को चर्चा होने की संभावना है।
शर्मा ने इसके बाद संवाददाताओं से कहा, “यह सरकार की उदारता नहीं, बल्कि संविधान को बरकरार रखने की बात है।”
संसदीय कार्य राज्यमंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने हालांकि, इसे सरकार को मिले जनादेश को अपमानित करना करार दिया।
भाजपा सूत्रों ने कहा कि प्रधानमंत्री के मंगलवार को राज्यसभा में आने की कोई संभावना नहीं है, क्योंकि वह झारखंड और जम्मू एवं कश्मीर विधानसभा चुनाव के प्रचार में व्यस्त हैं। आईएएनएस