।। धनवार से लौट कर कमल/सुदर्शन ।।
गिरिडीह : धनवार विधानसभा क्षेत्र के लिए मंगलवार को वोट डाले जाने से पहले और चुनाव प्रचार थमने के बाद सभी प्रत्याशी चुनावी समीकरणों के जोड़-तोड़ में जुट गए हैं। 13 प्रत्याशियों वाले इस विधानसभा क्षेत्र के चुनावी समर में यह स्पष्ट है कि मुकाबला त्रिकोणीय होगा। जिसमें झाविमो के सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी, भाकपा माले के राजकुमार यादव और भाजपा के लक्ष्मण सिंह रहेंगे।
धनवार विस भाजपा के प्रदेश प्रमुख प्रो रवीन्द्र राय का राजनीतिक क्षेत्र होने के कारण एक ओर जहां प्रदेश प्रमुख की प्रतिष्ठा इससे जुड़ी है, वहीं पूर्व मुख्यमंत्री श्री मरांडी के चुनावी समर में आ जाने से श्री मरांडी की प्रतिष्ठा भी दांव पर है। इस क्षेत्र से लगातार कई चुनावों में थोक के भाव में मत हासिल करने के बावजूद जीत से दो कदम पीछे रहे भाकपा माले के कद्दावर नेता राजकुमार यादव इस बार करो या मरो की स्थिति में मेहनत कर रहे हैं।
जानकारों के मुताबिक धनवार विधानसभा क्षेत्र मुख्य तीन भागों में बंटा है। जिसमें गांवा, तिसरी, धनवार सदर और धनवार ग्रामीण क्षेत्र शामिल हैं। उनके मुताबिक गांवा, तिसरी को श्री मरांडी और माले के राजकुमार यादव का गढ माना जाता है। वहीं धनवार ग्रामीण में भाजपा के झण्डे लहरा रहे हैं, जबकि धनवार बाजार इस बार भी अन्य चुनाव की तरह खिचड़ी है। सभी पार्टियों के झण्डे व बैनर धनवार बाजार में अटे पड़े हैं। इससे यह तय करना कठिन है कि किसी एक प्रत्याशी को धनवार बाजार में एकतरफा वोट मिलेंगे। इसकी संभावना कम ही है।
इस चुनाव में धनवार के निवर्तमान विधायक निजामुद्दीन अंसारी का पर्चा रद्द होने के कारण सभी प्रत्याशियों की नजर मुस्लिम मतों पर टिकी है। विगत 2009 के चुनाव में विजयी निजामुद्दीन अंसारी को 50,392 वोट मिले थे, जबकि दूसरे स्थान पर रहे माले के राजकुमार यादव को 45,419 और भाजपा के प्रदेश प्रमुख रवीन्द्र कुमार राय को 29,071 वोट मिले थे। इससे स्पष्ट है कि विजयी निजामुद्दीन अंसारी को सबसे ज्यादा मत मिले थे, लेकिन इस बार उनके चुनावी समर में नहीं रहने से मुस्लिम मत किसी एक को थोक के भाव मिलेगा यह चुनाव परिणाम के बाद ही पता चलेगा।
जानकारों की मानें तो झाविमो, भाकपा माले के अलावा मुस्लिम मतों का कुछ अंश कांग्रेस प्रत्याशी उपेन्द्र सिंह के खाते में जा सकता है। वैसे निवर्तमान विधायक के भतीजे निर्दलीय प्रत्याशी शफीक अंसारी को झामुमो का समर्थन भी प्राप्त है, ऐसे में उन्हें भी मुस्लिम वोटरों पर काफी भरोसा है। इधर, धनवार विधानसभा में हार-जीत का फैक्टर बनने वाली अगड़ी जाति और वैश्य मतदाता को भी सभी प्रत्याशी लुभाने के प्रयास में हैं। अगड़ी जाति के मतदाताओं का झुकाव पिछले चुनावों की तरह इस बार भी राष्ट्रीय दलों के प्रत्याशियों की ओर नजर आ रहा है। जबकि वैश्य मतदाता इस बार भी खामोश हैं।
अब जबकि मतदान के महज कुछ घंटे बचे हैं, वैश्य मतदाताओं की खामोशी ने राष्ट्रीय दलों के प्रत्याशियों की नींद उड़ा दी है। मालूम हो कि धनवार विधानसभा क्षेत्र में कुल 13 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। इनमें भाकपा माले के राजकुमार यादव, राजद के मनोज कुमार, नेयुपा के उमेश यादव, कांग्रेस के उपेन्द्र सिंह, झाविमो के बाबूलाल मरांडी, बसपा के दिनेश कुमार दास, झाविद के उदय कुमार सिन्हा, भाजपा के लक्ष्मण प्र सिंह, सपा के मनोज यादव और निर्दलीय मनोज कुमार पाण्डेय, राजेश कुमार राम, बंधन रविदास, मो शफीक अंसारी शामिल हैं।