
Ranchi: डीजीपी डीके पांडेय ने सीआइडी के तत्कालीन एडीजी एमवी राव से कहा था कि वह कोर्ट के आधेश की परवाह ना करें और बकोरिया कांड की जांच पर ज्यादा ध्यान ना दें. जबकि 24 नवंबर 2017 को झारखंड हाई कोर्ट ने बकोरिया कांड से संबंधित शिकायतवाद में सीआइडी को आदेश दिया था कि वह जांच पूरी करें. कोर्ट ने जांच से संबंधित कई निर्देश दिए थे. एमवी राव ने सरकार को जो पत्र लिखा है, उसके अंतिम पारा में इस बात का जिक्र है. उन्होंने लिखा है कि जब डीजीपी के इस गैरकानूनी आदेश को उन्होंने मानने से इंकार कर दिया और कहा कि मामले की जांच अभी चल रही है. किसी भी साक्ष्य को न तो दबा सकते हैं और न ही किसी साक्ष्य को क्रिएट कर सकते हैं. इसके बाद 13 दिसंबर को उनका तबादला कर दिया गया.
डीजीपी की गैरकानूनी बात नहीं मानी, तो कर दिया तबादला
डीजीपी की गैरकानूनी बात मानने से इंकार करने के बाद एमवी राव का तबादला कर दिया गया. उनका तबादला विशेष कार्य पदाधिकारी, नई दिल्ली के पद पर किया गया. सरकार को लिखे पत्र में उन्होंने कहा है कि यह पद स्वीकृत पद नहीं है. उनसे पहले किसी भी अधिकारी की पोस्टिंग इस पद पर नहीं की गयी है. पत्र में श्री राव ने इस बात का भी जिक्र किया है कि इससे पहले भी सीआइडी में पदस्थापित रहे जिन अफसरों ने बकोरिया कांड की जांच को सही दिशा में ले जाने की कोशिश की, उसका तबादला कर दिया गया.
अपराध करने वालों को बचाने के लिए हो रही बड़ी साजिश
एमवी राव ने अपने पत्र में सरकार को आगाह किया है कि एक बड़ी साजिश के तहत बड़े अपराध और उसमें शामिल लोगों को बचाने की कोशिश की जा रही है. इसलिए बकोरिया मामले की जांच के सिलसिले में सही फैसला लेने की जरुरत है.
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