
Subhash Shekhar, Ranchi: सूचना का अधिकार कानून के तहत लोगों को समय पर सूचना उपलब्ध कराने के लिए झारखंड सरकार गंभीर नहीं है. झारखंड राज्य सूचना आयोग में एक मुख्य सूचना आयुक्त समेत कुल 11 सूचना आयुक्तों के पद स्वीकृत हैं, लेकिन यहां एक मुख्य सूचना आयुक्त आदित्य स्वरूप और एक ही सूचना आयुक्त हिमांशु शेखर चौधरी से काम चलाया जा रहा है. सूचना आयोग के लिए कुल 74 पद सृजित किये गये हैं. इसके एवज में सिर्फ 41 पद ही भरे गये हैं. 55 पद अभी भी खाली हैं. झारखंड सूचना आयोग के मुख्य सूचना आयुक्त आदित्य स्वरूप ने बताया कि हमारे यहां हर रोज औसतन 40 मामले आते हैं और इस तुलना में हम अभी औसतन 10 मामलों की सुनवाई कर निष्पादित कर पाते हैं. इस वजह से हमारे पास पेंडिंग मामलों की तादाद लगातार बढ़ती जा रही है.
Subhash Shekhar, Ranchi: सूचना का अधिकार कानून के तहत लोगों को समय पर सूचना उपलब्ध कराने के लिए झारखंड सरकार गंभीर नहीं है. झारखंड राज्य सूचना आयोग में एक मुख्य सूचना आयुक्त समेत कुल 11 सूचना आयुक्तों के पद स्वीकृत हैं, लेकिन यहां एक मुख्य सूचना आयुक्त आदित्य स्वरूप और एक ही सूचना आयुक्त हिमांशु शेखर चौधरी से काम चलाया जा रहा है. सूचना आयोग के लिए कुल 74 पद सृजित किये गये हैं. इसके एवज में सिर्फ 41 पद ही भरे गये हैं. 55 पद अभी भी खाली हैं. झारखंड सूचना आयोग के मुख्य सूचना आयुक्त आदित्य स्वरूप ने बताया कि हमारे यहां हर रोज औसतन 40 मामले आते हैं और इस तुलना में हम अभी औसतन 10 मामलों की सुनवाई कर निष्पादित कर पाते हैं. इस वजह से हमारे पास पेंडिंग मामलों की तादाद लगातार बढ़ती जा रही है.
जानकारी के मुताबिक झारखंड राज्य सूचना आयोग के पास लंबित मामलों की फेहरिस्त 7905 पहुंच गई है. बात यहीं खत्म नहीं होती है. अगर कोई शख्स झारखंड में सूचना का अधिकार कानून के तहत मिलने वाली जानकारी लेना चाहता है तो उन्हें धैर्य के साथ-साथ कानूनी लड़ाई भी लड़नी पड़ती है, क्योंकि सूचना आयुक्तों और कर्मचारियों के अभाव में यहां सभी मामलों की त्वरित सुनवाई नहीं हो पा रही है.
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आरटीआई के प्रति उदासीन है झारखंड सरकार
हालत यह है कि निचले स्तर के अधिकारी समय से सूचना नहीं देते हैं और इसके लिए आयोग में अपील करनी होती है, मगर यहां भी परेशानी खत्म नहीं होती है. आयोग में आयुक्तों की कमी के कारण आपकी अपील पर कई वर्ष भी लग जाते हैं. सरकार के उदासीन रवैये के कारण आरटीआई जैसे महत्वपूर्ण अधिकार का लाभ आम जन को नहीं मिल पा रहा है.
दम तोड़ रहा सूचना आयोग
लोगों को न्याय और हक दिलाने के उद्देश्य से जिस झारखंड राज्य सूचना आयोग का गठन किया गया, वो आज खुद दम तोड़ता नजर आ रहा है. सिर्फ सूचना आयुक्त ही नहीं, आलम यह है कि राज्य सूचना आयोग में मामलों का अंबार लगा हुआ है, लेकिन उनकी सुनवाई करने वाला कोई आयुक्त ही नजर नहीं आ रहा है.
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पीएम, सीएम, गवर्नर तक को पत्र
झारखंड सरकार भी राज्य सूचना आयोग के मुख्य सूचना आयुक्त सहित खाली पदों को भरने के लिए गंभीर नहीं दिख रही है. इस मामले को लेकर झारखंडी सूचना अधिकार मंच ने प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और राज्यपाल को भी पत्र लिखा है. मंच के अध्यक्ष विजय शंकर नायक ने बताया कि सरकार भी भ्रष्टाचार को छूट दे रही है. ऐसा लगता है कि आरटीआई के तहत सूचना नहीं मिल रही है और सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार की खुली छूट मिल गई है.