
Ranchi : झारखंड के पेयजलापूर्ति विभाग ने राजधानी रांची में करीब 4 लाख नयी आबादी को पानी देने के लिए 387 करोड़ की लागत से पाइप लाइन बिछाने की योजना तैयार की है. 450 किलोमीटर पाइपलाइन बिछ चुकी है. जानकारी के अनुसार यह 6 साल पुराना प्रोजेक्ट है. इस प्रोजेक्ट को पूरा होने में एक साल और समय लग सकता है और इसका बजट 40 करोड़ रुपये और बढ़ सकता है. इस पाइपलाइन को बिछाने के लिए इस योजना पर जानकारों ने हैरानी व्यक्त की है और कई सवाल भी खड़े किये जा रहे हैं.
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हटिया डैम से नहीं मिलेगा रांचीवासियों को पानी, स्मार्ट सिटी व ग्रेटर रांची को होगी जलापूर्ति
रांची के प्रबुद्ध नागरिक आरपी शाही ने कहा है कि सरकार के सभी विभागों और मंत्रालयों की बयानबाजी पर अब हंसी भी नहीं आती है, अब तो मूर्खता पर दया आती है. 387 करोड़ खर्च कर पाइप बिछेगी और 4 लाख घरों में जलापूर्ति की जाएगी. अगर इनसे कोई यह पूछे कि इन पाइपों में सप्लाई क्या करेंगे ? बस कुछ ठेके चलते रहने चाहिए, जिससे ठेकेदार और अधिकारियों की कमाई होती रहे. उन्होंने कहा है कि जब आज भी 60% आबादी के लिए वाटर सप्लाई की सुविधा नहीं है तो पानी कहां से आएगा ? इनके सभी मंत्रियों और अधिकारियों की आंख का पानी सूख चुका है, तो पानी का प्रबंध कौन करेगा ?
इन्होंने आज तक 1955 के बाद जल संरक्षण के लिए कोई योजना नहीं बनायी. निकम्मेपन की हद तो यह है कि तीनों डैमों को कभी भी खोद कर गहरे करने या साफ़ करने का काम भी नहीं किया गया. तीनों की क्षमता 20-30% कम हो गयी है.
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डैमों में पानी की क्षमता पहले से कम हुई
रांची के जाने माने भू-गर्भशास्त्री और पर्यावरणविद डॉ. नीतीश प्रियदर्शी ने कहा है कि आम आदमी के लिए यह देखने सुनने में सुखद जरूर है, लेकिन इसे धरातल पर अमली जामा पहनाना बहुत मुश्किल है. रांची के रूक्का डैम, कांके डैम और हटिया डैम का अटैचमेंट एरिया कम हो गया है. यहां पर लगातार अतिक्रमण हुआ है. साफ-सफाई और खुदाई नहीं होने से इनकी जल संचयन क्षमता भी पहले से कम हो गयी है. पानी बचाने के लिए कोई नीतिगत योजना नहीं है. ऐसे में यह कहां से पानी सप्लाई करेंगे. पाइप बिछाना आसान काम है, लेकिन पानी कहां से लायेंगे यह यक्ष प्रश्न है. यह सरकार को बताना होगा.
रेन वाटर हार्वेस्टिंग नीति में खामियां
आरपी शाही ने बताया कि नगर निगम की रेन वाटर हार्वेस्टिंग नीति त्रुटिपूर्ण है और यह सिर्फ कागजों में दिखती है. यह पॉलिसी पैसा उगाही का जरिया बन गयी है. न्यूजविंग ने 27 अप्रैल को खबर प्रकाशित कर बताया था कि किस तरह रांची के लोगों के हिस्से का पानी स्मार्ट सिटी को और ग्रेटर रांची प्रोजेक्ट को हटिया डैम का पानी दिया जाएगा. और सवाल खड़ा किया था कि जब रांची में जलाशयों की कमी पहले से है और नये डैम कई दशकों से नहीं बने हैं, ऐसे में आखिर कैसे रांचीवासियों की प्यास बुझेगी ? ध्यान से देखें तो ऐसे हालात में पानी के लिए हाहाकार की स्थिति उत्पन्न हो सकती है.