न्यूजविंग, डालटनगंज : झारखंड में विधानसभा चुनाव के पांच चरण की प्रक्रिया लगभग पूरी होने वाली है। इस बीच पलामू में नक्सली संगठनों की गतिविधियां बढ़ने लगी हैं। चौक—चौराहों, गली—मुहल्लों और कस्बों की चाय दुकानों में चर्चा एक ही बात की है ‘सरकार किसकी बनेगी।’ इन सब से बेखबर सात साल की सोमरी दोपहर ढलने के बाद लगभग साढ़े चार बजे, डूबते सूरज और बढ़ती कनकनी के बीच सेमरी खेसरा गांव की कच्ची सड़क पर स्कूल से लौटने के क्रम में जंगल से जलावन के लकड़ी लेकर घर लौट रही है। साथ में उसके गांव के कुछ और बच्चे भी हैं। अभी उसे और तीन किलोमीटर पैदल चलना है। घर पहुंचने के लिए। इसके बावजूद उसके चेहरे पर न तो थकावट दिखती है और न ही किसी तरह का भय! इस इलाके में नक्सली गतिविधियों के आलावा लूटपाट की छोटी—छोटी घटनाएं अक्सर होती रहती हैं।
हमारे सवाल पूछने और सूनसान जंगल में किसी अजनबी को देख सोमरी पहले झिझकती है फिर थोड़ी देर के बाद कहती है, ”घर का खाना बनाने के लिए जलावन चाहिए, मां की मदद हो जायेगी।” क्या डर नहीं लगता? पूछने पर कहती है, ”हर रोज का यही काम है। हम स्कूल में पढ़ते हैं और घर लौटते हुए जंगल से लकड़ी चुन कर घर ले जाते हैं। जलावन के लिए। इससे ज्यादा हम और कुछ नहीं जानते।” दरअसल लातेहार से डालटनगंज जाने के क्रम में मुख्यालय से 10 किलोमीटर पहले ही दुबिया खांड़ मोड़ से एक रास्ता बायीं ओर बेतला की ओर जाता है। यही रास्ता आगे जाकर महुआडांड में मिल जाता है। इसी रास्ते पर बेतला से दो किलोमीटर पहले अखरा से बहुत निकट सेमरी खेसरा गांव पड़ता है। आवागमन के लिए इन्हें घंटों टेम्पोे, जीप जैसे सवारी गाड़ी का इंतजार करना पड़ता है। वर्षों से यहां यही स्थिति है।