
Pravin Kumar
Chakradharpur: झारखंड में मनरेगा का हाल बेहाल है. काम के लिए आवेदन देने के बाद भी मजदूरों को समय पर काम नहीं मिल पाता है. ताजा मामला चक्रधरपुर के भरनिया पंचायत का है. यहां के मनरेगा जॉब कार्डधारी छह मजदूरों ने मनरेगा में काम करने के लिए आवेदन दिया था, लेकिन नियमानुसार इन्हें 15 दिनों के अंदर काम उपलब्ध नहीं करवाया गया, जिस कारण इन्हें रोजगार सेवक का वेतन काट कर बेरोजगारी भत्ता दिया गया.
6 मजदूरों ने दिया था काम के लिए आवेदन
भरनिया पंचायत के जॉब कार्डधारी मजदूर सिंगराय सामड, लीदेन सोय, जयपाल सामड, पांडु सामड, लखन गगराई और मोसो सामड ने 6 जुलाई 2017 को मनरेगा में काम करने के लिए आवेदन दिया था, लेकिन नियमानुसार इन्हें 15 दिनों के अंदर काम उपलब्ध नहीं करवाया गया.
काम नहीं मिला तो मनरेगा कमिश्नर ने दिया 15 दिन में बेरोजगारी भत्ता देने का निर्देश
इसके बाद सभी मजदूरों ने CFT ( प्रदान) एवं नरेगा सहायता केंद्र, चक्रधरपुर के सहयोग से बेरोजगारी भत्ते के लिए 24 अगस्त 2017 को प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी को आवेदन दिया था. आवेदन जमा होने के करीब 3 महीने बाद मजदूरों को बेरोजगारी भत्ता नहीं दिया गया. मजदूरों के आवेदन पर कोई कार्रवाई नहीं किये जाने के कारण इस मुद्दे को CFT ( प्रदान) द्वारा मनरेगा कमिश्नर के बैठक में रखा गया. मनरेगा कमिश्नर ने कार्रवाई करते हुये चक्रधरपुर के भजनिया पंचायत के इन 6 मजदूरों को बेरोजगारी भत्ता दिये जाने का आदेश दिया.
बीडीओ ने रोजगार सेवक के वेतन से काटा मजदूरों का भत्ता
कमिश्नर द्वारा 15 दिनों के अंदर बेरोजगारी भत्ता भुगतान करने का आदेश दिया था. लेकिन 15 दिन के अंदर भुगतान नहीं किया गया. अंततः कमिश्नर के आदेश के करीब 2 महीने बाद बीडीओ ने मामले में कार्रवाई करते हुए इसके लिए जिम्मेदार रोजगार सेवक एवं पंचायत सेवक के वेतन से काटकर बेरोजगारी भत्ते का भुगतान दिनांक 17 जनवरी को किया. सभी छह मजदूरों को 3008 रुपया बेरोजगारी भत्ता दिया गया.
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पहले भी काम नहीं मिलने पर मजदूरों को मिल चुका है बेरोजगारी भत्ता
चक्रधरपुर प्रखंड में ये तीसरा मौका है जब तय समय पर काम नहीं मिलने के कारण मनरेगा मजदूरों को बेरोजगारी भत्ता मिला है. इससे पहले भी चक्रधरपुर प्रखंड के केनके पंचायत के 3 मजदूरों को दिनांक 14 जुलाई 2017 को 1638 रुपया और 2 नवंबर 2017 को भरनिया पंचायत के 28 मजदूरों को 26,686 रुपया बेरोजगारी भत्ता के रूप में दिया जा चुका है.
मनरेगा में काम नहीं मिलने पर मजदूर करते हैं पलायन
गौरतलब है कि मनरेगा में रोजगार मांगे जाने पर समय पर रोजगार उपलब्ध नहीं कराने की स्थिति में रोजगार सेवक, पंचायत सेवक या प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी के वेतन से बेरोजगारी भत्ता की राशि काटी जाती है और इसे मजदूरों को भुगतान किया जाता है. राज्य में एक फसली खेती होने के कारण ग्रामीण अंचलों में खेतीबारी के काम निपट जाने के बाद रोजगार का और कोई दूसरा काम नहीं बच जाता. ऐसे में वे मनरेगा पर ही निर्भर रहते हैं. मनरेगा में काम नहीं मिलने पर मजदूरों को पलायन के लिए मजबूर होना पड़ता है.
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