
फुटबॉलर प्रभाकर के सेहतमंद होते ही नये खिलाडि़यों के बीच शेयर करने की व्यवस्था करेगी सरकार
Ranchi: कुछ साल पहले तक फुटबॉल के जादूगर कहे जाने वाले प्रभाकर मिश्रा गुमनामी की जिंदगी बसर कर रहे थे. देश के लिए कई अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल मैचों में झारखंड का नाम रोशन करने वाले 66 वर्षीय प्रभाकर मिश्रा की तबियत इन दिनों ठीक नहीं रहती है. जिंदगी के आखिरी पड़ाव में झारखंड के खेल मंत्री अमर कुमार बाउरी ने उनके गिरते सेहत को लेकर चिंता व्यक्त की है. साथ ही कहा है कि उनका बेहतर इलाज कराने का इंतजाम किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि प्रभाकर मिश्रा को चंदनकियारी में डे बोर्डिंग संस्था या उनकी सहूलियत के अनुसार उनके अनुभव को नये खिलाडि़यों को कैसे मिले इसकी व्यवस्था की जायेगी.
प्रभाकर मिश्रा को उनके जमाने में कभी फुटबॉल का जादूगर कहा जाता था. 1977 में इन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व किया. तब रांची, बिहार (अब झारखंड) का नाम दुनिया में रौशन किया. प्रभाकर में फुटबॉल को लेकर आज भी वही जुनून दिखता है, जो 48 वर्ष पहले था. नए खिलाड़ियों को लेकर वे काफी चिंतित दिखते हैं.
साल 2002 में प्रभाकर मिश्रा एचईसी से रिटायर हुए.
प्रभाकर मिश्रा का फुटबॉल जीवन
1966- मुंगेर से फुटबॉल शुरू की.
1968- भागलपुर यूनिवर्सिटी से खेले.
1972- कोलकाता में फुटबॉल खेली.
1973- मोहम्मड्न स्पोर्टिंग क्लब रांची की ओर से खेले.
1974- बांग्लादेश में खेले.
1975- एरियंस क्लब के लिए खेले.
1977- भारतीय टीम के लिए खेले.
प्रभाकर मिश्रा प्रदेश की फुटबॉल टीम की सेलेक्शन कमेटी में भी रह चुके हैं. दो वर्ष तक रांची से इंटर स्टेट फुटबॉल टीम का सेलेक्शन करवाते रहे हैं. उन्होंने साल 1978 से 80 तक हैदराबाद के महान फुटबॉल खिलाड़ी जॉन विक्टर को संयुक्त बिहार के समय रांची में बुलवाया था और यहां होनहार खिलाड़ियों के चयन व उनके बेहतर प्रशिक्षण का जिम्मा भी सौंपा था. हालांकि इसके बाद विक्टर हैदराबाद में फुटबॉल को बढ़ावा देने में जुट गए. इस दौरान प्रभाकर ने अपने काम को बखूबी जारी रखा. आज भी समय मिलने पर फुटबॉल की नई पौध को अभ्यास करवाने से नहीं चूकते.
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