
Ranchi: कोयला मंत्रालय के आदेश के बावजूद झारखंड सरकार कोयला कंपनियों को खनन के लिए चालान निर्गत नहीं कर रही है. कोयला मंत्रालय ने इसके लिए राज्य सरकार के खान विभाग को कई बार आदेश भी जारी किया. 22 जनवरी 2018 को भी एक नया आदेश सीसीएल को लेकर कोयला मंत्रालय ने झारखंड सरकार को दिया है. इस आदेश में कहा गया है कि ओडिशा के तीन जिलों के मैगनिज और आयरन की माइनिंग को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि बिना ईसी, फोरेस्ट क्लीयरेन्स, प्रदूषण क्लीयरेन्स, एनओसी, माइनिंग के लिए मूल्य वैल्यू के बराबर पेनाल्टी लगाया गया है. सुप्रीम कोर्ट का निर्देश ओडिशा के तीन जिलों के लिये था.
लेकिन सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश को ओडिशा के साथ-साथ झारखंड सरकार ने भी लागू कर दिया गया और सभी कोल माइन्स पर पेनाल्टी लगा दिया गया. इससे झारखंड के सभी कोल माइंस बुरी तरह से प्रभावित हो गये हैं. साथ ही साथ बॉक्साइट, आयरन और सभी तरह की छोटी-बड़ी खदानें प्रभावित हो गयीं.
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सबसे बड़ी बात यह है कि इससे कोयला का खनन भी प्रभावित हो गया. केंद्रीय कोयला मंत्रालय का कहना है कि यह सुप्रीम कोर्ट का आदेश और पेनाल्टी का मामला ओडिशा के तीन जिलों के लिए था. इसमें कहीं भी झारखंड का जिक्र नहीं है. इसमें झारखंड कहीं भी पार्टी भी नहीं था. अब इसी पर केंद्रीय कोयला मंत्रालय ने सवाल उठाया है कि झारखंड सरकार ने इसे कैसे लागू कर दिया है. साथ ही झारखंड सरकार को लिखे आदेश में कहा गया है कि कोयले को मिनरल्स से अलग रखा गया है और इसे ज्यादा तवज्जो दिया गया है. कोयला उर्जा उत्पादन के लिहाज से देश की प्रगति के लिए ज्यादा महत्पूर्ण है.
कोयला मंत्रालय का आदेश
केंद्रीय कोयला मंत्रालय ने पूरे मामले की रिव्यू करने के बाद आदेश दिया है कि जो आवेदन दाखिल किये गये हैं उसका रीविजन करें. मंत्रालय ने कहा है कि खनिज रियायती नियम, 1960 के नियम एसएस (एस) के तहत शक्ति के प्रयोग में रहा है. एमएमडीआर अधिनियम की धारा 3ओ इसके अलावा, कोई कठोर कार्रवाई नहीं की जा सकती है, इसलिए आवेदक को कोयला का ट्रांजिट चालान जारी किया जाये.
सुप्रीम कोर्ट का निर्देश था कि 31 दिसंबर तक पेनाल्टी जमा करना था. तय समय तक कुछ लोगों ने जमा कर दिया तो कुछ कंपनी जमा नहीं कर सके. माइनिंग चालान रूक गया. उसके बाद सीसीएल जैसी कंपनियों ने केंद्रीय कोयला मंत्रालय का दरवाजा खटखटाया. सभी पहलुओं पर विचार करते हुए मंत्रालय ने झारखंड सरकार को बंद कोयला खदान चालू करने का आदेश दिया है. लेकिन झारखंड सरकार के विभाग इसे मानने को तैयार नहीं है.
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क्या कहना है झारखंड सरकार का
खान एवं भूतत्व विभाग के विशेष सचिव सह खान आयुक्त अबु बकर सिद्दीकी ने बताया कि अभी 22 जनवरी को कोयला मंत्रालय का एक पत्र आया है. अभी तक इसमें कोई निर्णय नहीं हुआ है. इसमें सरकार का जो निर्णय होगा, वही किया जायेगा. कोयला मंत्रालय की ओर से वह कोर्ट ऑर्डर है. इस आदेश में हमारे डिमांड पर रोक लगाई गई है और चालान देने के लिए कहा गया है. इसमें अभी हमारा काउंटर एफिडेफिट फाइल होगा. सरकार का भी पक्ष रखा जायेगा.
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