हैदराबाद, 26 मार्च | न्यूजीलैंड में एक भारतीय की कम्पनी क्लाउड सीडिंग (कृत्रिम बारिश) के लिए मानव रहित विमान (यूएवी) का विकास कर रही है।
क्लाउड सीडिंग के तहत बादलों को प्रभावित कर मनानुकूल बारिश कराई जाती है।
ऑकलैंड की कम्पनी एपीरॉन एरोस्पेस वैश्विक यूएवी कारोबार के लिए प्रौद्योगिकी के विकास पर काम करती है। कम्पनी ने क्लाउड सीडिंग के लिए मानव रहित विमान प्रणाली का डिजाइन तैयार किया है।
मौजूदा प्रणाली के तहत मानव युक्त विमानों को क्लाउड सीडिंग के लिए भेजा जाता है, जिसमें पायलट की जान जाने का खतरा रहता है।

एपीरॉन एरोस्पेस के निदेशक संजीव राव ने आईएएनएस से कहा, “क्लाउड सीडिंग के लिए मानव रहित विमानों की जरूरत है। यह पायलट की जान का सवाल है। अस्थिर वातावरण में विमान पर नियंत्रण रख पाना काफी कठिन होता है।”


उनके द्वारा पिछले साल स्थापित की गई कम्पनी ने हाल ही में यहां इंडिया एविएशन 2012 में अपने मॉडल का प्रदर्शन किया। कम्पनी ने बेंगलुरू की कम्पनी कृषि एयर प्राइवेट लिमिटेड के साथ एक समझौता किया है। कम्पनी का मानना है कि भारत में ऐसे मानव रहित विमानों का एक बड़ा बाजार है।
राव ने कहा कि प्रदर्शनी में दिखाया गया मॉडल काफी बढ़िया था। मानव रहित विमान बादलों में जाता है और बादलों पर प्रभाव डालकर उससे बाहर आ जाता है।
मॉडल छह महीना पहले तैयार हुआ था, लेकिन विमान का पहला नमूना तैयार होने में अभी छह महीने और लगेंगे। उसके बाद इसके उड़ान का परीक्षण किया जाएगा।
कम्पनी अपने मानव रहित विमानों के लिए भारत के अलावा एशिया, यूरोप, अमेरिका और अस्ट्रेलिया के दूसरे बाजारों की भी तलाश कर रही है।
कम्पनी मानव रहित विमानों की अलग-अलग किस्मों का भी विकास कर रही है।
सेना के काम आने वाली किस्म का प्रदर्शन दिल्ली में 29 मार्च से शुरू हो रहे डेफएक्सपो 2012 में किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि भारत में सेना, तटरक्षक और नौसेना मानव रहित विमानों की खरीददारी कर सकती है।
कम्पनी द्वारा तैयार किए जा रहे मानव रहित विमान की कीमत पांच लाख डॉलर से 7.5 लाख डॉलर के बीच हो सकती है।
– मोहम्मद शफीक.