देहरादून : केंद्र सरकार को बड़ा झटका देते हुए उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने गुरुवार को राज्य में लागू राष्ट्रपति शासन हटा दिया। राज्य के अपदस्थ मुख्यमंत्री हरीश रावत द्वारा दायर याचिका पर लगातार दो दिन की सुनवाई के बाद अदालत ने राज्य में लागू राष्ट्रपति शासन को अमान्य घोषित कर दिया।
अदालत ने कहा कि राज्य में राष्ट्रपति शासन आखिरी विकल्प के तौर पर लगाया जाना चाहिए लेकिन उत्तराखंड में ऐसा नहीं हुआ। अब विधानसभा में 29 अप्रैल को अग्निपरीक्षा होगी।
उच्च न्यायालय के इस फैसले के बाद कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं ने रावत के निवास स्थान के बाहर जश्न मनाया। ये लोग भाजपा के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे।
कांग्रेस नेता और राज्य की पूर्व वित्त मंत्री इंदिरा ह्दयेश ने कहा कि उनकी पार्टी सच्चाई और कानून को बनाए रखने के लिए न्यायपालिका को सलाम करती है।
कांग्रेस ने कहा, “यह लोकतंत्र की जीत है।”
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी न्यायालय के फैसले की प्रशंसा की।
आम आदमी पार्टी (आप) के नेता केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा, “यह फैसला नरेंद्र मोदी सरकार के लिए बहुत बड़ी शर्मिदगी है। उन्हें निर्वाचित सरकारों के मामलों में हस्तक्षेप करना बंद करना चाहिए और लोकतंत्र का सम्मान करना चाहिए।”
गौरतलब है कि कांग्रेस के नौ बागी विधायकों की बगावत के बाद राज्य में 27 मार्च को राष्ट्रपति शासन लगाया गया था।