
Dumka : कोयला उडूंग काते ओकोइ आक फायदा होयोक आ,? कॉम्पनि याक आर सरकार रेन मंत्री कोवाक, होड़ होपोन दोबोंन बेजुमीक आ, देला गोपोडोक पे सोलहा एमोक पे,सोना दिसोम जुमी ताबोन बाबोंन आदा, बोयहा देबोंन रुखियाय, सरसाबाद ग्रामीणों ने एक सूर में Estern coal field LTD के विरूद्व ग्रामसभा में कहा. संभावित विस्थापन को देखते हुए काठीकुंड के ग्रामीण फिर एक बार गोलबंद होने लगे. सरकार ने ईस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड की कोल माइंस के लिए आठ गांवों की पहचान की है. इस संदर्भ में उपायुक्त दुमका के द्वारा कांठीकुंड अचंल अधिकारी को 4 मई को पत्र लिख कर ग्राम सभा करने की बात कही गयी थी, इसी के आलोक में अंचल अधिकारी कांठीकुंड ने 6 मई को आठ गांवों के ग्राम प्रधान को पत्र लिखा था. ग्रामसभा करने के सर्दभ में गुरुवार को सरसाबाद में ग्रामसभा प्रशासन के द्वारा तय की गयी थी, जिसमें ग्रामीणों ने ईस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड के लिए जमीन देने संबंधी और इलाके का सर्वे करने का प्रस़्ताव को सिरे से खारिज कर दिया. ग्रामीणों का कहना है हम किसी भी कीमत पर अपनी जमीन कंपनी को नहीं देंगे.
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कोयला खदान खोलने की बात पर ग्रामीण आक्रोशित हो गये


काठीकुंड के सीओ के द्वारा ग्रामीणों के बीच ग्राम सभा का आयेाजन किया. जिसमें Estern coal field LTD के MD, सरसाबाद गांव के ग्रामीण शामिल हुए. ग्राम सभा की अध्यक्षता ग्राम प्रधान शीलवती मुर्मू ने की. ग्रामसभा में अपनी बात रखते हुए Estern coal field LTD के MD ने जैसे ही अपनी बात रखी कि यहां कोयला खदान खोलने के लिए प्रथम सर्वे का कार्य बोरिंग होना है, तो ग्रामीणा आक्रोशित हो गये. ग्रामीणों के आक्रोश देखते हुए Estern coal field LTD के MD और अंचल अधिकारी काठीकुंड छोड़ वापस लौट गये. ग्रामप्रधान शीलवती मुर्मू ने कहा कि हम किसी भी कीमत पर अपनी जमीन नहीं देंगे. कहा कि कंपनियों के द्वारा लालच प्रपंच करते हुए ग्रामीणों से जमीन का अधिग्रहण कर लिया जाता है. इसके बाद दर-दर की ठोकरें खाने के लिए ग्रामीणों को छोड़ दिया जाता है. ऐसे उदाहरण दुमका के पचवारा से लेकर पैनम कोल माइंस में भी देखा गया है.


कब किस गांव में होनी है ग्रामसभा
2008 में विस्थापन के विरोध में काठीकुंड प्रखंड में आंदोलन हुआ था
इससे पूर्व भी 2008 में विस्थापन के विरोध में काठीकुंड प्रखंड में आंदोलन हुआ था, जिसमें प्रखंड के दर्जनों गांवों के हजारों लोग कंपनी के विरोध में खड़े हुए थे. उस दैरान छह दिसंबर 2008 में प्रस्तावित पावर प्लांट के विरोध में लोग सड़क पर उतर गये थे. पुलिस की ओर से चलायी गोली में दलदली गांव के लुखीराम टुडू और शिकारीपाड़ा थाना क्षेत्र के पंचवाहिनी गांव के सायगाट मरांडी की मौत हो गयी थी. ग्रामीणों ने दोनों को शहीद का दर्जा दिया. हर साल छह दिसंबर को शहीद दिवस के रूप में मनाकर उनकी शहादत को याद किया जाता है.
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