भोपाल, 5 अप्रैल | सब कुछ लुटा चुका इंसान 30 रुपये में एक दिन का गुजारा कर सकता है, वहीं जानवर की एक दिन की जरुरत 32 रुपये में पूरी की जा सकती है। यह हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि मध्य प्रदेश की सरकार ऐसा मानती है। यही वजह है कि राज्य सरकार द्वारा राजस्व पुस्तिका परिपत्र में यह प्रावधान किए गए हैं।
राज्य सरकार ने बीते दिनों राजस्व पुस्तिका परिपत्र 6.4 के तहत प्राकृतिक प्रकोपों में जनहानि, फसल हानि सहित विभिन्न मदों के तहत दी जाने वाली राहत राशि में कई बदलाव किए हैं। इस प्रावधान में साफ तौर पर कहा गया है कि प्राकृतिक आपदा पीड़ित किसान जिसके पास खाने को कुछ नहीं बचा है उसे प्रतिदिन के हिसाब से 30 रुपये दिया जाए, वहीं अवस्यक को 25 रुपये दिए जाएंगे। अभी तक आपदा पीड़ित को 20 रुपये प्रतिदिन मिलते थे।
जनसंपर्क विभाग द्वारा आधिकारिक तौर पर जारी विज्ञप्ति में बताया गया है कि राज्य सरकार ने राहत मदद में किए गए बदलाव में पशुओं के लिए भी विशेष प्रावधान किए हैं। अभी तक पशु शिविरों में हरे चारे, जलआपूर्ति, दवाई आदि का कोई प्रावधान नहीं था। किए गए संशोधन के मुताबिक बड़े पशु के लिए 32 और छोटे पशु के लिए 16 रुपये का प्रावधान किया गया है। इस राशि से हरे चारे का अधिकतम 15 दिन इंतजाम किया जाएगा।
यहां बताना लाजिमी होगा कि केंद्रीय योजना आयोग द्वारा शहरी व ग्रामीण गरीबों की खुराक के लिए एक नियत राशि को जरुरी बताया था, तो भाजपा क्या मध्य प्रदेश की सरकार ने भी इसकी खुलकर आलोचना की थी। अब उसी सरकार ने इंसान की एक दिन की खुराक के लिए 30 और जानवर के लिए 32 रुपये की जरुरत बताई है।


महंगाई के इस दौर में एक इंसान 30 रुपये में एक दिन का गुजारा कर सकता है, यह विचारणीय विषय है। वहीं इंसान से पशु की खुराक के लिए दो रुपये ज्यादा का सरकार की ओर से प्रावधान किए जाने से यही लगता है कि सरकार की प्राथमिकता सूची में इंसान से ऊपर जानवर है।
|| संदीप पौराणिक ||



