।।वेंकटचारी जगन्नाथन।।
चेन्नई : नॉर्वे के मौजूदा विश्व चैम्पियन मैगनस कार्लसन ने रविवार को पांच बार के विश्व चैम्पियन भारतीय ग्रैंडमास्टर विश्वनाथन आनंद को हराकर लगातार दूसरी बार विश्व चैम्पियनशिप खिताब हासिल कर लिया।
रूस के सोची में हुए फीडे विश्व शतरंज चैम्पियनशिप के तहत रविवार को हुई 11वीं बाजी में आनंद को 24वीं चाल का खामियाजा भुगतना पड़ा और कार्लसन ने 45वीं चाल में आनंद को मात दे दी।
आनंद 23वीं चाल तक अच्छी स्थिति में दिख रहे थे, लेकिन 24वीं चाल में उन्होंने कार्लसन का ऊंट लेकर अपने हाथी की बलि दे दी। आनंद ने चाहे गलती से या धोखा देने के इरादे से या भारी भूल करते हुए यह चाल चली हो उन्हें इसका खामियाजा विश्व चैम्पियनशिप हारकर चुकाना पड़ा।
इस जीत से कार्लसन ने 6.5 अंक हासिल कर लिए और विश्व चैम्पियनशिप अपने नाम कर लिया।
अपेक्षा के अनुसार आनंद ने शुरुआत रक्षात्मक अंदाज में की, क्योंकि वह चैम्पियनशिप में कार्लसन से एक अंक पीछे चल रहे थे।
सफेद मोहरों से खेलते हुए कार्लसन ने राजा के आगे वाले प्यादे को आगे बढ़ाकर खेल की शुरुआत की और जल्द ही बाजी ने रुई लोपेज-बर्लिन डिफेंस रणनीति का रूप ले लिया।
पिछली बाजियों की ही तरह कार्लसन ने एकदूसरे के वजीर एक्सचेंज करने की पहल की।
आनंद ने हालांकि नौवीं चाल में आक्रामक रणनीति अपनाते हुए अपना सफेद घर वाला ऊंट डी7 पर बढ़ा दिया।
दोनों खिलाड़ियों ने शुरुआती 12 चालों तक तेजी से पांच-पांच मिनट का समय लेते हुए चालें चलीं।
विश्व के 26वें वरीय ग्रैंडमास्टर पी. हरिकृष्ण ने आईएएनएस से कहा, “आनंद ने चैम्पियनशिप में तीसरी बार बर्लिन डिफेंस की रणनीति अपनाई। लेकिन यह स्पष्ट नहीं हो सका कि क्या आनंद ने पहले से सोची गई रणनीति के तहत चालें चलीं। क्योंकि कार्लसन बर्लिन डिफेंस की उम्मीद करते नहीं लग रहे थे।”
13वीं चाल तक कार्लसन का हर मोहरा सक्रिय हो चुका था, लेकिन आनंद के लिए यह स्थिति नहीं थी और उनके दोनों हाथी और काले घर वाला ऊंट अपनी शुरुआती स्थिति में ही बने हुए थे।
हरिकृष्ण ने कहा, “बर्लिन डिफेंस ऐसा ही होता है। शुरुआत में काले मोहरे सक्रिय नजर नहीं आते, लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से वे सक्रिय ही होते हैं।”
आनंद ने 23वीं चाल में बी5 चाल के साथ अपना एक प्यादा लेने की कार्लसन को पेशकश कर दी। लेकिन कार्लसन ने आनंद के प्यादे को नहीं मारा। वास्तव में कार्लसन किसी तरह की जटिलता नहीं लाना चाहते थे।
इस समय तक कंप्यूटर आनंद को अच्छी स्थिति में दिखा रहा था, लेकिन 24वीं चाल में आनंद ने कार्लसन का ऊंट लेकर अपने हाथी की बलि दे दी।
लेकिन आनंद के लिए यह बाजी उल्टी पड़ गई और कार्लसन को सिर्फ समय के भीतर अपनी चालें चलनी थीं।
हरिकृष्ण ने आनंद की 24वीं चाल को धोखा देने वाला करार दिया।