
Moscow: इंग्लैंड में रूस के पूर्व जासूस को जहर देने के मामले में रुस-अमेरिका के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है. गुरुवार को रूस ने अमेरिका के 60 राजनयिकों को देश छोड़कर जाने का फरमान सुनाया है. उन्हें 5 अप्रैल तक का वक्त दिया गया है. इसके साथ ही सिएटल में अमेरिका वाणिज्य दूतावास बंद करने के लिए कहा है. सेंट पीटर्सबर्ग का दूतावास पहले ही बंद कर चुका है. गौरतलब है कि इससे पहले अमेरिका ने रूस के 60 राजनयिकों को खुफिया अफसर करार देते हुए बाहर निकाल दिया था.
फैसला न्यायोचित नहीं- अमेरिका
रूस की कार्रवाई पर अमेरिका ने आपत्ति जताई है. उसने कहा है कि यह उसकी उचित कार्रवाई के बदले की गई गलत कार्रवाई है. अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हीथर नुअर्ट ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में पत्रकारों से बात करते हुए कहा, ‘रूस की प्रतिक्रिया का कोई औचित्य नहीं है. हमारे द्वारा की गई कार्रवाई के पीछे कारण था कि रूसी राजनयिकों पर ब्रिटेन में एक पूर्व जासूस और उसकी बेटी को जहर देकर मारने की कोशिश की गई.‘ नुअर्ट ने कहा कि रूस के अमेरिकी राजनयिकों को निष्कासित करने के फैसले से पता चलता है कि वह महत्वपूर्ण मामलों में बातचीत को लेकर दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है. अमेरिका के राष्ट्रपति कार्यालय व्हाइट हाऊस ने कहा- “रूस के इस फैसले से अमेरिका-रूस के रिश्ते और अधिक खराब होंगे.रूस की यह कदम अप्रत्याशित नहीं है और अमेरिका इससे निपट लेगा.”
रुस का रवैया सख्त
रुस ने सख्त रवैया अपनाते हुए साफ कर दिया है कि वो दूसरे देशों के राजनयिक को भी निकाल देगा. रूस ने धमकी दी है कि वह उस पर आरोप लगाने वाले और ब्रिटेन-अमेरिका का साथ देने वाले दूसरे देशों के राजनयिक को भी निकालेगा.
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क्या है विवाद
रूस के पूर्व जासूस सर्गेई स्क्रिपल और उनकी बेटी यूलिया 2010 से इंग्लैंड में रह रहे थे. ये दोनों 4 मार्च को विल्टशर के सेल्सबरी सिटी सेंटर के बाहर बेहोश मिले थे. बाद में पता चला कि दोनों को जहर दिया गया था. हालांकि अब उनकी सेहत में सुधार हो रहा है. इधर अमेरिका ने ब्रिटेन में पूर्व जासूस और उसकी बेटी को जहर देने के मामले में रूस को जिम्मेदार ठहराया था. जिसे लेकर दोनों देशों में टकराव बढ़ गया है.
शीत-युद्ध जैसे बन रहे हालात
संयुक्त राष्ट्र महासभा के महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने गुरुवार को चेताया कि पूर्व रूसी जासूस पर हमले के बाद उपजी परिस्थितियों से शीत युद्ध जैसे हालात पनप रहे हैं. उन्होंने कहा कि पश्चिमी देशों से जिस तरह रूस के राजनयिकों को अपने यहां से निकाला और इसके जवाब में रूस ने भी कदम उठाए, उससे लगता है जैसे हम शीत युद्ध वाले माहौल में रह रहे हों. उन्होंने कहा कि अमेरिका के बाद नाटो और यूरोपीय देशों ने भी 150 से ज्यादा रूसी राजनयिकों को अपने देश से निकाला है.
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