
NewDelhi : राजद्रोह कानून खत्म करने और आर्म्ड फोर्सेज (स्पेशल पावर्स) ऐक्ट में बदलाव जैसी बातें घोषणापत्र में शामिल किये जाने से कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में नुकसान उठाना पड़ा. कांग्रेस की हार के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राज्यसभा सांसद आनंद शर्मा ने यह बात एक टीवी चैनल को दिये इंटरव्यू में कही.
जान लें कि कांग्रेस की लीडरशिप को लेकर जारी संशय के बीच नेता आनंद शर्मा ने चुनावी घोषणापत्र में खामियां गिनाईं. इसी क्रम में राजद्रोह कानून और आर्म्ड फोर्से ऐक्ट में बदलाव जैसी बातों को घोषणापत्र में शामिल करने का जिक्र किया. कांग्रेस के घोषणापत्र में जिक्र किया गया था कि कश्मीर में सेना की तैनाती को कम किया जायेगा.
कांग्रेस की कैंपेन कमिटी के प्रभारी रहे आनंद शर्मा ने कहा कि किसानों से किये गये कांग्रेस के चुनावी वादे न्याय का भी असर नहीं हुआ क्योंकि इसे काफी देर से अप्रैल में सामने लाया गय. इसे चुनाव से कम से कम छह महीने पहले लाया जाना चाहिए था. ऐसे में यह सरकार की पीएम किसान स्कीम का मुकाबला करने में नाकाम रही, जिससे लोगों को पहले ही कैश मिलना शुरू हो गया था.
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भाजपा ने अति-राष्ट्रवाद का राजनीतिकरण किया
अपने इंटरव्यू में शर्मा ने कहा कि पुलवामा हमले और बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद भाजपा ने अति-राष्ट्रवाद का अपने फायदे के लिए इस्तेमाल किया. आरोप लगाया कि इस मुद्दे का राजनीतिकरण किया, स्वीकार किया कि पार्टी उस नैरेटिव का संतुलन नहीं बना सकी. राज्यसभा सांसद शर्मा ने चुनाव बाद पार्टी में संकट होने की बात भी खुलकर स्वीकार करते हुए कहा, इतनी बड़ी हार होगी, हमने ऐसा सोचा नहीं था.
अब समय आ गया है कि हमें ईमानदार तरीके से आगे बढ़ना चाहिए और आत्मनिरीक्षण करना चाहिए. हमें उन मुद्दों और फैक्टर्स की पहचान करनी होगी जहां गलती हुई. कहा कि चुनाव के बाद हम खत्म होने वाले नहीं हैं.
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भाजपा ने कांग्रेस के घोषणापत्र को खतरनाक करार दिया था
कांग्रेस का घोषणापत्र सामने आने के बाद भाजपा ने तीखा हमला किया था. भाजपा ने कहा था कि कांग्रेस के घोषणापत्र में काफी खतरनाक विचार हैं और आरोप लगाया था कि मुख्य विपक्षी दल टुकड़े-टुकड़े गैंग के साथ जाकर खड़ी हो गयी है, जिसके तहत लेफ्ट पॉलिटिकल ऐक्टिविस्टों ने 2016 में जेएनयू में अफजल गुरु के लिए कार्यक्रम आयोजित किया था.