
Akshay Kumar Jha
Ranchi: झारखंड में सभी 81 विधानसभा सीटों पर चुनाव हो रहे हैं. लेकिन सबकी निगाहें पूर्वी जमशेदपुर पर टिकी है. ऐसा सरयू राय के बागी तेवर की वजह से हो रहा है.
टिकट ना मिलने पर सरयू राय ने सीएम रघुवर दास की सीट से ही चुनाव लड़ने की ठान ली है. वो रघुवर के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए नामांकन भी कर चुके हैं. अब लड़ाई आर-पार की है. सरयू राय के ऐसा करने से रघुवर दास की मुश्किलें बढ़ गयी हैं.
ऐसा नहीं है कि सरयू राय और रघुवर दास के बीच चुनाव के वक्त ही तल्खी बढ़ी है. 2018 जून-जुलाई के वक्त से ही सरयू राय रघुवर के खिलाफ खुल कर बोलने लगे थे. मीडिया में इसी वक्त से इन दोनों के बीच के रिश्तों को जगह मिलनी लगी. मीडिया के अलावा सरयू राय इशारों-इशारों में अपने ट्विट्स के जरिये भी रघुवर दास के खिलाफ लिखते रहे हैं.
सबसे पहले 10 जुलाई को सरयू राय ने सीएम रघुवर दास के खिलाफ खुलकर बोला. उन्होंने जमशेदपुर में 10 जुलाई 2018 को मीडिया के सामने बयान दिया कि “मुख्यमंत्री के पास बैठक का समय नहीं, कई प्रोजेक्टस रूके हैं. अब पानी सिर के ऊपर चला गया है.” इसके बाद उन्होंने कई ऐसे ट्विट्स किये जिससे सरयू राय का सीएम पर गुस्सा साफ तौर से देखा जा सकता है. पढ़ें सरयू ने कब क्या कहा.
13 Jul 2018
कोई मेरे एक गाल पर थप्पड़ मारना चाहता है तो दूसरा गाल भी आगे कर दूंगा यदि वह संत है. पर उसके दोनों गालों पर जबरदस्त थप्पड़ रसीद कर दूंगा यदि वह लंठ है. संत बनो लंठ नहीं.
31 Aug 2018
कभी-कभी लगता है दोष व्यक्तियों मे नहीं कुर्सियों में है. बैठने वालों पर कुर्सी हावी हो जाती है. मन-मिजाज बदल देती है, इरादे बदल देती है, निर्जीव की ठनक सजीव की तासीर बदल देती है, प्रचार माध्यमों के सुर बदल देती है. सही कहा गया है- जैसा वित्त वैसा चित्त, जैसा अन्न वैसा मन.
14 Sep 2018
जब कभी प्रशासन-पुलिस तंत्र जनहित के प्रति सुन्न हो जाता है तब न्याय के लिये लोग न्यायालय व मीडिया से विधिसम्मत अपेक्षा करने लगते हैं. ऐसी अपेक्षाओं पर न्यायालय का ध्यान जाने के पूर्व प्रशासन भी अपने तंत्र को सुन्नपन से उबारने का आंतरिक उपाय कर ले तो सुशासन की अनुभूति संभव है.
18 Sep 2018
मेनहर्ट परामर्शी बनाम रांची शहर का सिवरेज-ड्रेनेज : “लमहों ने खता की सदियों ने सजा पायी”.
18 Sep 2018
मेरी नजर में “वादाखिलाफी, भ्रष्टाचार और बलात्कार” एक ही श्रेणी के अपराध हैं.
22 Sep 2018
आमदनी अठन्नी और ख़र्चा रुपैया होने पर व्यक्ति, परिवार, सरकार सभी परेशान होते हैं. खर्च भी कब, कहां, कितना, कैसे करना है इसका ध्यान सरकारें रखती हैं तो जनता की सहूलियतें बढ़ती हैं.फटी टाट मे मख़मल का पैबंद लगाकर चमकाने का कोई फायदा किसी को नही होता.
10 Oct 2018
मेरा एक पक्का वसूल यह भी है कि मुझे जिससे जितना मिलता है उतना ही मैं उसे सूद सहित लौटा देता हूं .
13 Oct 2018
शहरी योजनाकारों को आग लगने पर कुआं खोदने की नीति से उबरना होगा. योजनाओं के सूत्रण एवं स्वीकृत योजनांओं के क्रियान्वयन के दौरान जारी तदर्थ निर्देशों के संदर्भ में व्यवसायिक-राजनीतिक दृष्टिकोण को नहीं बल्कि तकनीकी-सामाजिक पहलुओं तथा लोक वित्त के सही उपयोग को प्राथमिकता देनी होगी.
22 Oct 2018
पता चल जाये कि जाने-अनजाने एक गलती हो गयी है तो उसे सुधार लेना सुव्यवस्था का लक्षण है. पर एक सुनियोजित गलती को पूर्वोदाहरण बनाकर दूसरी, तीसरी, चौथी गलतियां करना और इस तरह गलती पर गलती करते जाना कुव्यवस्था को बढ़ावा देना है.ऐसा संविधान के किसी भी स्तम्भ मे हो, दंडनीय अपराध है.
28 Oct 2018
राजनीति, प्रशासन, सामाजिक, आध्यत्मिक, पारिवारिक, व्यक्तिगत या जनहित के क्षेत्र में किये जाने वाले अच्छे काम का अच्छा नतीजा तभी आता है जब उसे करने की नीयत अच्छी हो. नीयत मे खोट हो तो अच्छा दिखने वाले काम तात्कालिक दिखावा बन कर रह जाते हैं, उनका दूरगामी नतीजा अच्छा नही होता.
इसे भी पढ़ें- भाजपा रखे अपना टिकट, पार्टी ने जिसे प्रतीक बनाया है, मैं उसके खिलाफ ही क्षेत्र में चुनाव लड़ूंगा: सरयू राय
30 Oct 2018
जनता जब सरकार चुनती है तो जानती है कि यह सरकार केवल 5 साल में विकास का स्वर्णिम युग नहीं ला सकती. पर अपेक्षा अवश्य रखती है कि उसके पैरों की बेवाईयों पर मरहम लगे, उसके आंसू संवेदना के साथ पोंछे जायं न कि उपकार भाव से. सरकारी मुलाजिम उसका हक नही मारें, बातें कम और काम ज्यादा करें.
1 Nov 2018
राज और समाज का रिश्ता विचित्र है. समाज खास उम्मीद से राज बदल देता है. तख्त की उंचाई पर समाज की ये उम्मीदें राज की नजर से ओझल होने लगती हैं. राज-समाज की दूरी बढ़ने से अपनों के बीच विचार-व्यवहार का संकट खड़ा होता है. समाज किंकर्तव्यविमूढ़ता से उबरता है तो राज बदल जाता है, उम्मीद
1 Nov 2018
तरस आती है उन प्रशासनिक अधिकारियों पर जो खुद को राज व सरकार का भाग्य विधाता समझने लगते हैं और भूल जाते हैं कि सेवा मे दाखिल होते समय उन्होने संविधान और कानून की रक्षा की शपथ ली है.
18 Nov 2018
जिम्मेदार पदों पर काबिज लोगों को भ्रष्टाचार के आरोपों के बारे में बयान देने के पहले सलाहकार मंडली से समझ लेना चाहिये कि कानूनी, सामाजिक, राजनीतिक दृष्टि से भ्रष्ट आचरण की कसौटी क्या है? यही कसौटी तय करती है कि लोकसेवक पदधारी का कौन आचरण भ्रष्टाचार की श्रेणी में है या नहीं है.
8 Dec 2018
मा० मुख्यमंत्री@dasraghubarसे मैंने व्यक्तिगत आग्रह किया है कि बकोरिया कांड की सीबीआइ जांच कराने के झारखंड उच्च न्यायालय के फैसला के विरूद्ध सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपील नहीं करे. मैंने मा० उच्च न्यायालय का फैसला पढ़ा है. सीबीआइ ने जांच आरम्भ कर दिया है. इसे होने देना श्रेयस्कर होगा.
8 Dec 2018
मंजिल मिले ना मिले, रास्ता सही है तो एक सच्चे राही की तरह उसपर हिम्मत और धीरज के साथ चलना चाहिये. यदि लक्ष्य पवित्र है तो राष्ट्रहित और धर्महित में कतिपय रणनीतिक अपवादों को छोड़कर वहां तक पहुंचने का मार्ग भी पवित्र होना चाहिये.
8 Dec 2018
सरकारी खजाना और प्राकृतिक संसाधन पर पहला हक जनता का है. सरकारें इनकी ट्रस्टी मात्र होती हैं. इनका संरक्षण और अभिवर्द्धन सरकार का प्राथमिक दायित्व होना चाहिये. इन्हें खर्च करते समय ध्यान रहना चाहिये कि जनता के हितों पर इसका प्रतिकूल प्रभाव नही पड़े.
11 Dec 2018
Serious fraud with Natural Resources has taken shape in the deptt.of Mines, to which all the organs of state need to be equally concerned with. My apprehension came true at a high level deliberation yesterday. I decided to take the matter to logical conclusion come what may.
2 Feb 2019
विपक्ष में रहें तो भ्रष्टाचार/अन्याय के ख़िलाफ़ गेहुवन (कोबरा) की तरह काटें/फुफकारें. सत्ता मिल जाय तो डोडहा(विषहीन) सांप बन इनके गले लिपटें. तो फिर “जीरो टालरेंस” की दहाड कहां के लिये, किसके लिये? सवाल है कि भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ ज़ीरो टालरेंस नारा या निष्ठा ?
14 Feb 2019
“सिर्फ़ हंगामा खड़ा करना मेरा मक़सद नहीं, मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिये.” भरोसा है, सूरते हालात बदलेंगे. समय का तक़ाज़ा है.
22 Feb 2019
सरकार ने कैबिनेट के भीतर/बाहर मेरा सुझाव नहीं माना.बकोरिया कांड की सीबीआइ जाँच रुकवाने सुप्रीम कोर्ट गई. सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से जगहंसाई हुई, नीयत पर सवाल उठे,बदनामी हुई. किसकी नादान सलाह थी यह? कौन ज़िम्मेदारी लेगा इसकी? किसे/क्यों भय है सीबीआई से? कौन बचना/बचाना चाहता है अपराध से?
6 Mar 2019
राज्य की कार्यपालिका नियमावली सरकार संचालन की लक्ष्मण रेखा है,शासकीय कार्य निष्पादन हेतु गीता-बाईबिल-क़ुरान है.इसका अविवेकपूर्ण उलंघन निहित स्वार्थियों को जनधन की आँच पर लोभ की रोटी सेंकने का आमंत्रण देता है. शीर्षस्थ पद पर बैठे नौकरशाह इसकी अवहेलना करें तो समझो जनहित पर ख़तरा है
11 Mar 2019
अपनी सेवा के सर्वोच्च अभिभावकीय पद पर पहुँचते ही झारखंड कॉडर के आईएएस अधिकारियों को क्या हो जाता है कि संविधान-क़ानून-जनहित-राज्यहित के जिन मुद्दों पर उन्हें विधिसम्मत मार्गदर्शक होना चाहिये वहाँ वे झुकने और रेंगने लगते है.कैसी मिसाल पेश कर रहे हैं ये युवा अधिकारियों के लिये?
16 Mar 2019
शासन में भ्रष्टाचार करने वाला जितना दोषी है उतना ही दोषी भ्रष्टाचार सहनेवाला व भ्रष्टाचार को संरक्षण देनेवाला भी है. भ्रष्टाचार की शिकायतें मिलने पर कारवाई नहीं करने वाला तो इनसे भी अधिक दोषी है. शासन का भ्रष्टाचार रोकने में आनाकानी करना युवा पीढ़ी के भविष्य के साथ खिलवाड़ करना है.
16 Mar 2019
शासन के ऊँचे पद पर बैठे लोगों की छोटी ग़लती की सज़ा छोटे पदवालों की बड़ी ग़लती से अधिक हो तो भ्रष्टाचार घटेगा. मेरी कोशिश रहती है कि शक्तिशाली पदों पर बैठे लोगों की ग़लतियाँ बेनक़ाब हों. अधीनस्थ अधिकारी तो रो-गाकर इनके आदेश का पालन करते हैं,इनका अनुकरण करते हैं या इनकी आड़ लेते है.
3 Apr 2019
भ्रष्टाचार, प्रदूषण और कुपोषण झारखंड मे ज़मीनी स्तर पर तीन ज्वलंत मुद्दे है. व्यवस्था/जनता इनसे निपटने के लिये जद्दोजहद कर रही है. सामान्य-जन इनसे पीड़ित और प्रताड़ित है. शासन, प्रकृति और ग़रीब-ग्रामीण इनसे क्रमश:आक्रांत है. राज्य के विकास और जनसवास्थ्य को इन्होंने जकड़ रखा है.
21 May 2019
In stead of failure to revamp sick,unreliable distribution system under trap of big contractors JBVNL misleads Govt and befools people by selling fake argument that power crisis in the state is due to 30 lakhs additional household connections. Its a horrifying unpardonable joke .
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11 Jun 2019
झारखंड में बिजली का शर्मनाक संकट विद्द्युत वितरण मुख्यालय मे है. इसे ठीक करना क्षेत्रीय अधिकारियों के बूते का नही है. सवाल है कि शहरों और गाँवों में बिजली कटी रहती है पर इनका लोड डिस्पैच सेंटर दिन में चार बार बताता है कि कहीं भी लोड शेडिंग यानी पावर कट नही है.
13 Jun 2019
किसी को रसगुल्ला बहुत पसंद हो सकता है, मुझे भी है. पर इस शर्त पर नही कि इसे खाने से पहले चुनिन्दा गालियाँ खानी पड़ेंगी और बाद मे गिनती के जुते भी खाने पड़ेंगे. जिन्हे पसंद है उन्हें यह शर्त मुबारक. मीठा की तलब तो गुड की भेली से भी पूरा हो सकती है.
5 Jul 2019
भाजपा विचार परिवार के कार्यकर्ताओं को संगठन के अधिकारी संगठन की बैठकों में पहले “देवदुर्लभ कार्यकर्ता” के विशेषण से संबोधित कर गौरवान्वित किया करते थे. अब सार्वजनिक मंच से कोई इन्है चिरकुट-दलाल”कह देता दे, तो इनका मर्माहत होना स्वाभाविक है.मर्म पर चोट से उबरना बड़ा कठिन होता है.
6 Jul 2019
नक़ल करने और प्रेरित होने में मौलिक अंतर है.किसी की नक़ल कर वैसा ही हाव-भाव,वस्त्र-विन्यास, चमक-दमक दिखाना और उससे प्रेरित होकर उसके नीति-सिद्धांत-ध्येय को अपनाना बेमेल धाराओं के प्रतीक हैं जिनका युगीन संघर्ष जगज़ाहिर है. नक़ल से स्वार्थ का और प्रेरणा से परमार्थ का पोषण होता है.
13 Jul 2019
एलसिसियन स्वामिभक्त प्रजाति का एक मांसभक्षी उछृंखल जीव है.इसकी एक शराबभक्षी मानव प्रजाति भी है. मैं इसे नहीं पालता.अधिकांश लोग नहीं पालते. इसे पालने वाले को चाहिये कि इसे क़ाबू में रखे, भौंकने के लिये नही छोड़े. छुट्टा छोड़ देने पर वह सबका नुक़सान करता है, पालने वाले का भी, अपना भी.
15 Jul 2019
शीशा के घर में रहने वाला जब नंगा होकर कपड़ा बदलने लगता है तो उसकी नंगई सबके सामने उजागर हो जाती है. उसके शुभचिंतक, मार्गदर्शक, संरक्षक भी उसकी ऐसी बेहयाई ढकने में नाकाम हो जाते हैं, उनकी समस्त कोशिशें बेकार हो जाती हैं. कहा गया है -अति सर्वत्र वर्जयेत्.
18 Jul 2019
रांची के सिवरेज-ड्रेनेज के दुर्दशा की पटकथा तो 2006 में लिख दी गई थी. जब अयोग्य होने के बावजूद मेनहर्ट को परामर्शी नियुक्त किया गया. उच्च न्यायालय के आदेश पर निगरानी जांच में अयोग्य पाये जाने के बाद भी उसे काम से जोड़ा गया. लम्हों ने ख़ता की, सदियों ने सज़ा पाई का ज्वलंत उदाहरण.
24 Jul 2019
संविधान और क़ानून के प्रति ज़िम्मेदार पदों पर आसीन व्यक्ति जनहित/जनसुविधाओं के मुद्दों पर निर्णय करते समय निहित स्वार्थ/और क्षुद्र राजनीतिक विद्वेष का शिकार हो जाता है तो आगे चलकर जनता इसके दूरगामी दुष्प्रभाव का विनाशकारी ख़ामियाज़ा भुगतती है, सरकारी खजाना पर इसकी चपत लगती है.
24 Jul 2019
विधान सभा की तीन समितियाँ- लोक लेखा समिति, लोक उपक्रम समिति, प्राक्कलन समिति- दक्षता और निपुणता से काम करें तो सरकारी फ़िज़ूलख़र्ची एवं भ्रष्टाचार पर लगाम लगता है, लोक वित्त का दुरूपयोग रूकता है और दोषी लोकसेवकों की जनविरोधी नीतियां, बदनीयत और भ्रष्ट आचरण का पर्दाफ़ाश होता है.
24 Jul 2019
विधान सभा सत्र में नही रहते समय सभा समितियाँ,ख़ासकर लोक लेखा समिति,लोक उपक्रम समिति, प्राक्कलन समिति-दक्षता, निपुणता से काम करें तो सरकारी फ़िज़ूलख़र्ची और भ्रष्टाचार पर लगाम लग सकता है, लोक वित्त का दुरूपयोग रूक सकता है, दोषी लोकसेवकों की जनविरोधी नीतियां व नीयत बेनकाब हो सकती है.
24 Jul 2019
सरकारी खजाना में जमा वित्त पर पहला हक राज्य की जनता का है. सरकार के मंत्री/ मंत्रिपरिषद इसके ट्रस्टी हैं. इसका व्यय राज्यहित/जनहित में करने के लिये संविधान के अनुरूप वित्तीय नियमावली/ट्रेज़री कोड बने हैं. इन्हें शिथिल कर होने वाले व्यय का अंके़क्षण इनकी उपयोगिता प्रमाणित करता है.
24 Jul 2019
मेरी नज़र में वादाखिलाफी और बलात्कार एक ही श्रेणी के अपराध हैं. चाहे ये जनता/जन-मुद्दों के साथ हों या व्यक्ति/व्यक्ति समूह के साथ.
28 Jul 2019
आरम्भिक स्थिति मे ही कारवाई करने से भ्रष्टाचार समाप्त हो सकता है.समय के साथ इसकी जड़ें पसरने-गहराने लगती हैं. दबाव समूह बनने लगता है. सूचना मिलते ही ठोस कारवाई हो. पालने पोसने से भ्रष्टाचार नासूर बन जाता है. व्यवस्था की पूरी ताक़त इसे संरक्षण देने और मीडिया मैनेजमेंट मे लग जाती है
28 Jul 2019
गलती हो गई. पता चलने पर इसे सुधारने के बदले ढकने की कोशिश करना इससे भी बड़ी गलती है. गलती पर गलती करते जाने से भ्रष्टाचार पनपता है. भ्रष्टाचार की विष बेल के समर्थन में निहित स्वार्थी समूह सक्रिय होता है. मिडीया मैनेजमेंट और मामला उठानेवालों के मैनेजमेंट का सिलसिला शुरू होता है. फिर…
31 Jul 2019
राँची के शक्ति रामायण सिंह ने आज प्रात: निम्नांकित संदेश भेजा है जो ग़ौर करने लायक़ है :- “शतरंज सी जिन्दगी में कौन किसका मोहरा है, आदमी एक है मगर किरदार दोहरा है.” “भरोसा एक शख्स तोडता है और विश्वास हर शख़्स से उठ जाता है.”
9 Aug 2019
सत्ता की सेटिंग से जन-धन (लोक वित्त) का दुरूपयोग करने वाले वस्तुत: आम आदमी का हक़ मारते हैं. देश और राज्य के विकास में ब्रेक लगाते हैं. भ्रष्टाचार करते हैं और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते हैं. जनमुद्दों के साथ बादाखिलाफी करने वाले भी यही करते हैं. दोनों निन्दा और दंड के पात्र हैं.
9 Aug 2019
सत्ता की सेटिंग से जन-धन (लोक वित्त) का दुरूपयोग करने वाले वस्तुत: आम आदमी का हक़ मारते हैं. देश और राज्य के विकास में ब्रेक लगाते हैं. भ्रष्टाचार करते हैं और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते हैं. जनमुद्दों के साथ बादाखिलाफी करने वाले भी यही करते हैं. दोनों निन्दा और दंड के पात्र हैं.
18 Aug 2019
एक राजनैतिक विचारक के अनुसार आज के संसदीय लोकतंत्र में राजनीति का मतलब हो गया है- अमीरों से धन लेकर ग़रीबों से वोट लेना. बाद में अमीरों को गरीबों से सुरक्षित रखने का और ग़रीबों को अमीरों से बचाने का आश्वासन देते रहना.
22 Aug 2019
चिदम्बरम की गिरफ़्तारी उनलेगों के लिये सबक़ है जो पावर मे रहकर भ्रष्टाचार के सबूतों को दबाते हैं, आरोपों को नज़रअंदाज़ करते हैं. वे चेत जायें, टी०वी० पर चल रहे प्रधानमंत्री के भाषणों को सुनें. भ्रष्टाचार एवं अनियमितता के सबूतों पर कारवाई करें. वर्ना ……
3 Sep 2019
झारखंड प्रदेश अध्यक्ष श्री लक्ष्मण गिलुआ से दूरभाष पर बात हुई. उन्हें सलाह दिया कि चुनावी दृष्टि से जनसम्पर्क अभियान का नारा – “घर घर कमल” – तय करें. यह वाक्य केवल नारा नही होगा बल्कि निष्ठा का प्रतीक भी होगा. मेरा यह सुझाव उन्हें अच्छा लगा. दिल्ली लौटते ही आज उनसे मिलूँगा.
4 Sep 2019
घर घर भाजपा, घर घर कमल. बाद में मैं, पहले दल.
5 Sep 2019
प्रधान मंत्री ने भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ बिगुल फूँक दिया है. कुछ ही दिन बाद झारखंड विधान सभा चुनाव आ रहा है. जिनके दामन पर भ्रष्टाचार के नये-पुराने, छोटे-बड़े दाग हैं, जो जाँच में साबित हो गये हैं, जिनपर कारवाई दबी पड़ी है. उन्हें समय रहते किनारा कर लेना चाहिये. समय बलवान होता है !
8 Sep 2019
अबतक मैंने भ्रष्टाचार के जितने आरोप लगाया है जाँच में वे सबके सब सही साबित हुये हैं. जिनपर कारवाई हो गई,आरोपी दंडित हो गये उन्हें तो सब जानते हैं. पर जाँच में आरोप साबित होने के बावजूद जिनपर कारवाई नहीं हुई है, जो दबा दिये गये हैं दहाड़ते चल रहे वे आरोपी भी आज नहीं तो कल ज़रूर नपेंगे.
24 Sep 2019
राजनीतिक दलों को केवल कोशिश नही करनी चाहिये बल्कि सुनिश्चित करना चाहिये कि उनका नेतृत्व बेदाग़ हो, उसका आचरण भ्रष्ट नहीं हो. नेतृत्व पर आरोप लगे तो मौन टूटे, जांचोपरांत विश्वसनीय स्पष्टीकरण हो. नेतृत्व बेदाग़ होगा तो अधीनस्थ भी होंगे.राजनीति, ख़ासकर सत्ता की राजनीति, स्वच्छ होगी.
25 Sep 2019
काम करते समय/ज़िम्मेदारी निभाते समय/निर्णय लेते समय जाने-अनजाने गलती संभव है, मानवीय भूल संभव है. किसी ने यह गलती/भूल/अनियमितता बता दिया और करने वाले ने सुधार लिया तो संभावित भ्रष्टाचार रूक गया. पर बताने पर भी सुधार नहीं किया, परदा डालने का प्रयास करते रहा तब यह करना भ्रष्टाचार है.